November 22, 2025
दिल्ली-एनसीआर नई दिल्ली

दिल्ली नगर निगम में 17 करोड़ का खेल!

  • November 21, 2025
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हेल्थ इंस्पेक्टरों पर लगा बड़ा घोटाले का आरोपभ्रष्टाचार से खोखला हो रहा है निगम — सवालों के घेरे में अफसरों की भूमिका नई दिल्ली हरि सिंह रावत रिधि

नई दिल्ली हरि सिंह रावत रिधि दर्पण।
दिल्ली नगर निगम (MCD) में करोड़ों के घोटाले का एक बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि कॉन्ट्रैक्ट पर तैनात अतिरिक्त पब्लिक हेल्थ इंस्पेक्टर (APHI) ने निगम को करीब 17 करोड़ रुपए का चूना लगाया। यह मामला पिछले कई महीनों से विभाग के भीतर दबा रहा, लेकिन अब खुलासे के बाद निगम के प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

हैरानी की बात यह है कि MCD अधिकारियों को इतने भारी-भरकम वित्तीय अनियमितता की भनक तक नहीं लगी, या फिर जानबूझकर इसे अनदेखा किया गया—यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है।

स्टैंडिंग कमेटी में उठा मामला, हुई कड़ी कार्रवाई की मांग

स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य राजपाल सिंह ने बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि हेल्थ विभाग के अंदर इस तरह की बड़ी रिकवरी का मामला अधिकारियों की निगरानी पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि पूरी जानकारी होने के बावजूद मामले को दबाने की कोशिश की गई।

राजपाल सिंह ने कहा—
“अगर 17 करोड़ का बिल पास हो गया तो इसके पीछे किसकी मिलीभगत थी? इतने बड़े स्तर की रिकवरी कैसे अनदेखी हुई?”

कमिश्नर की सख्त कार्रवाई — दोषियों की नौकरी खत्म करने का आदेश

प्रारंभिक जांच के बाद निगम कमिश्नर ने बैठक खत्म होते ही दोषी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश जारी कर दिया।
रिकॉर्ड के अनुसार MCD ने 38 APHI को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया था। इन कर्मचारियों पर पहले भी ग़लत बिलिंग और नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे थे।

2015 में इन कर्मचारियों ने लेबर कोर्ट में जाकर MCD पर भेदभाव का आरोप लगाया था। वहीं, कुछ कर्मचारियों ने पोस्ट अनुसार वेतन देने और नियमित करने की मांग भी उठाई थी। 2025 में लेबर कोर्ट के आदेश के बाद MCD को इन कर्मचारियों को 17 करोड़ की रिकवरी देनी पड़ी।

सबसे चौंकाने वाली बात

सूत्रों के अनुसार, रिकवरी की राशि उन कर्मचारियों को भी दे दी गई जो 2018 में MCD की नौकरी छोड़ चुके थे, और कई ऐसे जिन्हें घर पर बुलाकर भुगतान किया गया! लगातार कई किस्तों में कर्मचारियों का पुनर्भुगतान होने के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने न तो जवाबदेही तय की और न ही रिकॉर्ड की ठीक से जांच करवाई।

रिपोर्ट में बड़ा खुलासा — 39 में से 17 करोड़ बांट दिए गए!

रिकवरी की कुल राशि 39 APHI में से कुछ लोगों को बांट दी गई, जबकि कई ऐसे कर्मचारी भी लाभान्वित हुए जिन्हें कानूनी तौर पर भुगतान का अधिकार ही नहीं था।

राजपाल सिंह का बड़ा सवाल

“निगम अधिकारियों ने इतने बड़े वित्तीय गड़बड़ी के बावजूद चुप्पी क्यों साधे रखी? क्या यह सिर्फ लापरवाही है या इसमें गहरी मिलीभगत है?”

निगम हुआ खोखला — भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी

यह पूरा प्रकरण इस बात की ओर इशारा करता है कि MCD के भीतर भ्रष्टाचार किस हद तक पैठ बना चुका है। करोड़ों की अनियमितताओं पर पर्दा डालना और वर्षों तक बिना ऑडिट के रिकवरी को बांट देना — यह प्रशासनिक ढांचे की गंभीर विफलता है।

अब बड़ा सवाल यह है कि—
अख़िर MCD के ऑफिसर्स 17 करोड़ की रिकवरी पर आंखें क्यों मूंदे रहे?

इस मामले की विस्तृत जांच की मांग जोर पकड़ रही है, और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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